दोस्तों मेरी कहानी की शुरुआत होती है मेरी इंटर कालेज की पढाई के साथ मैं जिस लड़की से प्यार करता था वोमुझे प्यार करती थी या नही, ये मुझे नही पता लेकिन मै उसे बहुत प्यार करता था हम दोनों साथ - साथ स्कूलजाते थे और हमारी दोस्ती भी बहुत अच्छी थी मै सोचता था की सबकी गर्ल फ्रेंड्स हैं जिनके साथ वो घूमते फिरते हैं मै थोडा लड़कियों से डरता भी था इसलिए किसी से कभी कुछ कहने की हिम्मत नही होती थी, लेकिन
दोस्तों के लिए मै उनकी बात हमेशा उनकी प्रेमिकाओं तक पंहुचा दिया करता था मै अनु (मेरी दोस्त) को अपने प्यार के बारे में बताने की कोशिश भी करता था लेकिन फिर ये सोचता था की अगर वो मेरे प्यार को नही महसूस कर पा रही है या समझना ही नही चाह रही है तो मै भी इसे ताउम्र प्यार करता रहूँगा लेकिन कभी इज़हार नही करूंगाऔर धीरे धीरे हमारा कालेज भी ख़तम हो गया और हम दोनों ही जॉब करने लगे हमारी दोस्ती वैसी ही चल रही थी कि अचानक एक दिन मै उसके घर चला गया और सीधे उसके भैया के सामने जाकर खडा हो गया अनु ने नीचे ही पुछ लिया था कि भैया से क्या काम है? लेकिन मै बोला नही
आप लोगों को बता दूँ की भैया से मेरी अच्छी पटती है इसलिए मैंने सीधे भैया से ही बात करना ठीक समझा मेरे घर में मैंने मेरी बड़ी बहन और छोटी बहन को बता रखा था,मम्मी को तो उसी दिन बता दिया था जब मैं उसे पहली बार अपने कालेज में देखा था
लगभग एक माह बीत गए और मैंने उसे बात तक नहीं की थी मेरे दोस्तों को मैंने बता दिया था की मैं उसे पसंद करता हूँ और कोई उसे प्यार करने के बारे में न सोचे,लेकिन उसे ही कुछ नहीं कह सका था यहाँ तक की उसका नाम भी नहीं पूछ सका था लेकिन सर की मेहरबानी से मुझे उसका नाम पता चल गया था एक दिन घर पर कोई त्यौहार था और मम्मी ने सभी पड़ोसियों को बुलाया था हम लोगों को यहाँ आये लगभग एक माह हो गए थे और शाम को जब मैंने अपने ही घर में अनु को देखा तो मेरे दिल की धड़कने बहुत तेज़ हो गई थी, मुझे ऐसा लगा की "किसी ने फूलों के बगीचे में मुझे परियों के बीच पहुंचा दिया है "
मेरे तो होशो हवास गूम हो गए थे मै सिर्फ अनु को ही देख रहा था और फिर जा कर अपनी बड़ी दी (रंजना दी ) को बता दिया और ये भी बता दिया की हम एक साथ पढ़ते है बस क्लास अलग अलग हैं
फिर दीदी ने अनु को बुलाया तो वो मुझे देख कर चौक गई और बोली "तुम तो मेरे की स्कूल में पढ़ते हो न ,यहाँ क्या कर रहे हो?" तब भी दीदी ने ही बताया की ये मेरा भाई है और उस दिन से मेरी उसकी बात शुरू हुई थी उसी समय दीदी की कुछ सहेलियों ने अंताछरी खेलने को बोला और खेल शुरू हो गया वैसे तो मै बहुत शरारती था जिस वजह से दीदी की सभी सहेलियों का चहेता भाई था,लेकिन आज मुझे क्या हो गया था ? न तो मैंने कोई शरारत ही की थी और न ही कोई गाना गाया गया था तभी अनु की बारी आई और उसने (DDLJ) का वो गाना "हो गया है तुझको तो प्यार सजना "गाया तो लगा दिल के सारे तंतु एक साथ बज उठे हों मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना न था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उसने अपने प्यार का इज़हार ही कर दिया हो वो एहसास जिंदगी भर नहीं भुला जा सकता है फिर हमारी दोस्ती हो गई और मै उसके भैया के साथ क्रिकेट खेला करता था तो उनके साथ अच्छी बनने लगी थी जिंदगी अपनी रफ़्तार से चल रही थी और मै थोड़ा पीछे अपने प्यार के मामले में |
फिर आज का दिन और मै भैया के सामने था
मै - भैया मुझे आपसे बात करनी है
भैया - हाँ बरखुरदार ! आज हमारी याद कैसे आ गई |कई दिनों से तुम खेलने भी नहीं आ रहे हो ? तबियत तो ठीक है ना ?
मैं -हाँ भैया ! तबियत ठीक है लेकिन मैं थोड़ी दुविधा में था इसलिए मैं खेलने भी नहीं आ रहा था | भैया मुझे शादी करनी है, दीदी की शादी हो गई, आपकी और तनु दी की भी शादी हो गई लेकिन हमारे बारे में कोई नहीं सोच रहा है
भैया - ओ हो ! चलो ठीक है लेकिन ये तो बताओ की लड़की कौन है और करती क्या है ? कहाँ रहती है ? दिखती कैसी है ? क्या किसी को पसंद किया है या यूँ ही खयाली पुलाव पका रहे हो ?
मैं- पसंद तो करता हूँ लेकिन ये नहीं जनता की वो भी मुझे पसंद करती है या नहीं? हाँ मैंने कभी उसे कुछ कहा नहीं है लेकिन हमारी बहुत अच्छी दोस्ती है |
भैया- और बताओ तुम्हारी जॉब कैसी चल रही है? अब क्या कर रहे हो ? तुम और अनु तो एक ही ऑफिस में थे न |
हाँ भैया ! लेकिन मैंने जॉब बदल दी है और हो सकता है की रेलवे में भी हो जाये| मैंने जबाब दिया
भैया - ये तो बहुत अच्छी बात है | अब बताओ लड़की कौन है ?
मैं - भैया ! मैं अपनी बहनों से बहुत प्यार करता हूँ और छोटी के लिए बहुत कुछ करना चाहता हूँ |
भैया - ये तो बहुत अच्छी बात है तुम तो बहुत समझदार हो गए हो विशाल
ये सुनकर मैंने मन ही मन ये सोचने लगा की अभी जब मै इनके सर पर बम फोडूगा तब अचानक ही मै समझदार से बेवकूफ और न जाने क्या क्या बन जाउंगा )
मैं - भैया मैं आपकी बहन से भी बहुत प्यार करता हूँ |
भैया - करना ही चाहिए | जैसे तुम्हारी बहन है वैसे वो भी तो है |
मै - नहीं भैया ! मेरा मतलब है की मै उस से ही शादी करना चाहता हूँ |
भैया - ये क्या बोल रहा है साले ? अबे तू समझ रहा है इसका क्या मतलब होता है ? और क्या अनु को पता है? अनु ! ओ अनु इधर आ |
अनु - हाँ भैया !
ये विशाल क्या बोल रहा है ? भैया ने गुस्से से कहा
मुझे क्या पता क्या बोल रहा है ? विशाल क्या बोल रहे हो ?
अनु मुझसे बोली
मैंने उससे ही बोल दिया की मैं उससे शादी करना चाहता हूँ और अगर उसे मैं पसंद नहीं हूँ तो वो मना भी कर सकती है | ये सुन कर तो उसकी हालत देखने लायक थी, मेरी समझ में नहीं आ रहा था की वो खुश हुई या नाराज़ लेकिन मेरी हालत एक अच्छे दोस्त को खोने के ख्याल से ही बिगड़ चुकी थी और मैं शायद गिर ही जाता की अनु के हाथों ने मुझे सहारा दिया और धीरे धीरे मुझे नीचे लेकर आई |वहां मेरी माँ - पिता जी, दीदी -जीजा और मेरी छोटी बहन गुड़िया भी थी, मै सीधे दी के पास जा के बैठ गया और सब के आने का कारण पूछा तो कहने लगी की "तूने गुड़िया से कुछ कहा था न,बस उसी वजह से हम यहाँ आये हैं"| तब जाके मेरी समझ में आया की सबने मिलकर मुझे "मामू " बनाया था यहाँ तक की अनु के भैया और इस अनु की बच्ची ने भी |और फिर हमें पता चला की मेरी दोनों बहने मुझसे छुप छुप कर अनु को भाभी ही बुलाती थी लेकिन वो सिर्फ मेरे प्यार के इज़हार का इंतज़ार कर रही थी | मैंने फिर पूछा की "अगर तुम भी मुझे प्यार करती थी तो क्या तुम नहीं बता सकती थी " और फिर हमारी शादी की तैयारियां चलने लगी थी | आज मैं दूल्हा बन रहा था और तैयार होने के लिए मुझे नहलाने के लिए उठाया जा रहा था जब मेरे चेहरे पर पानी गिरा और आँख खुली तो सारा सपना पल भर में चकना चूर हो गया | और मैं बदहवास सा बैठा ही रह गया | एक पल में ही सारी खुशियाँ ख़तम हो चुकी थी और मैं जिंदगी भर अपने प्यार का इज़हार नहीं कर सका था | सपने में ही सही लेकिन मैंने जो प्यार मांगा था वो मिल गया
," लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हो सकता है ?"
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